शेर और गाय की कहानी Lion And The Cow Story In Hindi
एक बार की बात है, यह एक शेर और गाय (sher aur gaay) की कहानी Lion And The Cow Story है। एक शेर था जो जंगल पर राज करता था। उसे जानवरों का राजा माना जाता था और जंगल के सभी जीव उससे डरते थे। एक दिन जब शेर शिकार की तलाश में घूम रहा था तो उसे खेतों में एक गाय चरती हुई मिली। शेर ने गाय पर हमला करने के बारे में सोचा, लेकिन जैसे ही उसने गाय को देखा, उसे एहसास हुआ कि वह बहुत कमजोर और दुबली-पतली है। इसलिए शेर ने उस पर हमला करने के बजाय उससे बातचीत करने का फैसला किया।
शेर गाय के पास गया और बोला, “सुप्रभात, प्रिय गाय। क्या बात है? तुम इतनी कमजोर और पतली क्यों दिख रही हो?”
गाय ने उत्तर दिया, “महाराज! मुझे बहुत भूख लगी है। मेरे पास कई दिनों से खाने के लिए कुछ भी नहीं है। मैं मुश्किल से जी पा रही हूँ।”
यह सुनकर शेर हैरान रह गया और उसने पूछा, “तुम घास क्यों नहीं खा रहे हो? खेत इससे भरे हुए हैं।”
गाय ने उत्तर दिया, “महाराज, घास मेरे लिए चबाने के लिए बहुत कठिन है। मेरे पास इसे ठीक से पीसकर इसका रस निकालने की शक्ति नहीं है।”
शेर को अब गाय पर दया आ गई और उसने कहा, “चिंता मत करो, मेरे प्रिय। मैं तुम्हारे लिए एक उपाय ढूंढूंगा।”
शेर फिर पास की एक झील में गया और कुछ मछलियाँ पकड़ीं। वह उन्हें वापस गाय के पास ले आया और कहा, “यहाँ, मेरे प्रिय। इन मछलियों को खाओ। वे नरम और आसानी से पचने वाली होती हैं। मुझे आशा है कि वे आपको वह शक्ति और ऊर्जा प्रदान करेंगी जिसकी आपको आवश्यकता है।”
वैसे गाय शाक-आहार करने के कारण घास खाना ही पसंद करती है लेकिन जब जान पर बन आयी तो जिंदा रहने के लिए वे मछली भी कहा सकती है। गाय शेर की बहुत आभारी थी और उसने मछली को खा लिया। कुछ ही समय में वह फिर से मजबूत और स्वस्थ हो गई। गाय ने शेर को धन्यवाद दिया और कहा, “महाराज, आप मुझ पर बहुत दयालु हैं। मैं आपकी मदद के लिए आभारी हूं। मैं आपकी दया को हमेशा याद रखूंगी।”
उस दिन से सिंह और गाय में मित्रता हो गई। वे एक साथ लंबी सैर पर जाते थे और तरह-तरह की बातें करते थे। वे जंगल में खुशी से रहते थे, जब तक कि एक दिन शेर मर नहीं गया। बुढ़ापे से हुई शेर की मृत्यु के बाद गाय बहुत दुखी हुई और बहुत दिनों तक रोती रही। लेकिन वह शेर की दया को कभी नहीं भूली और उसे हमेशा एक सच्चे दोस्त के रूप में याद किया।
कहानी से सीख:
सच्ची मित्रता मजबूत और शक्तिशाली होने के बारे में नहीं है, बल्कि दयालु और सहायक होने के बारे में है। उन लोगों की मदद करना महत्वपूर्ण है जो कमजोर और जरूरतमंद हैं, भले ही वे हमारे मित्र हों या न हों।